Saturday, July 04, 2009

''एक बार यूँ ही''

ये लो! ऊँगली पर आ कर अटकी हुई कविता.
अब इस प्रसव वेदना का करें भी तो क्या करें?



*ज़ोरबा दी फेनुग्रीक ''एक बार यूँ ही''*